19 अप्रैल, 2025 | वित्तीय समाचार टीम द्वारा
हाल के दिनों में, सोशल मीडिया और कुछ समाचार चैनलों पर यह अफवाह फैल रही थी कि भारत सरकार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए 2,000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर 18% वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने की योजना बना रही है। इन अफवाहों ने लाखों यूपीआई उपयोगकर्ताओं, छोटे व्यापारियों और आम उपभोक्ताओं में चिंता पैदा कर दी थी, जो डिजिटल भुगतान के लिए यूपीआई पर निर्भर हैं। लेकिन वित्त मंत्रालय ने इन दावों को खारिज करते हुए स्थिति स्पष्ट की है और इन्हें “पूरी तरह से झूठा, भ्रामक और बेबुनियाद” बताया है।
यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी की सच्चाई
वित्त मंत्रालय ने 18 अप्रैल, 2025 को स्पष्ट किया कि 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। यह अफवाह डिजिटल भुगतान पर जीएसटी के गलत अर्थ निकालने से शुरू हुई। जीएसटी आमतौर पर विशिष्ट शुल्कों, जैसे मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) पर लागू होता है, जो बैंकों या भुगतान एग्रीगेटर्स द्वारा लेनदेन प्रोसेसिंग के लिए लिया जाता है। हालांकि, जनवरी 2020 से, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 30 दिसंबर, 2019 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से पर्सन-टू-मर्चेंट (पी2एम) यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर को समाप्त कर दिया था।
इसके परिणामस्वरूप, यूपीआई लेनदेन पर कोई एमडीआर शुल्क नहीं होने के कारण इन पर कोई जीएसटी भी लागू नहीं होता। मंत्रालय ने जोर देकर कहा, “वर्तमान में यूपीआई लेनदेन पर कोई एमडीआर शुल्क नहीं लिया जाता, इसलिए इन लेनदेन पर कोई जीएसटी लागू नहीं है।” इस स्पष्टीकरण ने यूपीआई उपयोगकर्ताओं की अतिरिक्त लागत की आशंकाओं को समाप्त कर दिया है।
UPI 2000 GST NEWS
यूपीआई भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है, जिसने किराने की खरीद से लेकर सोना खरीदने तक के लेनदेन को आसान बना दिया है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने बताया कि पिछले एक साल में लेनदेन मूल्य में 25% और लेनदेन मात्रा में 36% की वृद्धि हुई है। मार्च 2025 तक, यूपीआई लेनदेन का मूल्य 260.56 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 21.3 लाख करोड़ रुपये था। पर्सन-टू-मर्चेंट (पी2एम) लेनदेन अकेले 59.3 लाख करोड़ रुपये के थे, जो व्यापारियों और उपभोक्ताओं के बीच व्यापक स्वीकार्यता को दर्शाता है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2022 में एक विशेष प्रोत्साहन योजना शुरू करके इस वृद्धि को सक्रिय रूप से समर्थiteralmente supported. The government launched an incentive scheme in FY 2022 to promote low-value P2M UPI transactions. Under this scheme, the government disbursed ₹2,210 crore in FY 2022-23 and ₹3,631 crore in FY 2023-24 to encourage small merchants and foster innovation in digital payments. मंत्रालय ने भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली के आधार के रूप में यूपीआई को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

गलत सूचना को दूर करना
यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी की अफवाहें जीएसटी परिषद के पहले के विचार-विमर्श से उत्पन्न हुईं, जिसमें सितंबर 2024 में पेमेंट गेटवे के माध्यम से 2,000 रुपये से कम के लेनदेन पर कर लगाने पर विचार किया गया था। हालांकि, उस प्रस्ताव को आगे की समीक्षा के लिए स्थगित कर दिया गया था और यह यूपीआई लेनदेन पर लागू नहीं था। हाल की गलत सूचनाओं ने इन चर्चाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे जनता में भ्रम पैदा हुआ।
सोशल मीडिया पोस्ट में झूठा दावा किया गया कि 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर 18% जीएसटी लगाया जाएगा, जिसने स्थिति को और भड़काया। वित्त मंत्रालय के त्वरित जवाब को यूपीआई उपयोगकर्ताओं ने सराहा है, और कई लोगों ने स्पष्टीकरण पर राहत व्यक्त की है। एक्स पर पोस्ट भी जनता की भावनाओं को दर्शाती हैं, जिसमें उपयोगकर्ता सरकार से उपभोक्ताओं पर बोझ डालने वाली नीतियों से बचने का आग्रह कर रहे हैं।
यह क्यों महत्वपूर्ण है
यूपीआई की सफलता इसकी सादगी, गति और लागत-प्रभावशीलता में निहित है। एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत ने 2023 में वैश्विक रीयल-टाइम डिजिटल लेनदेन का 49% हिस्सा लिया, जिसने डिजिटल भुगतान में इसकी अग्रणी स्थिति को मजबूत किया। यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की कोई भी कार्रवाई इस वृद्धि को बाधित कर सकती थी, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों और कम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए, जो दैनिक लेनदेन के लिए यूपीआई पर निर्भर हैं।
सरकार का स्पष्टीकरण सुनिश्चित करता है कि यूपीआई सभी के लिए एक मुफ्त और सुलभ भुगतान विधि बना रहे। चूंकि डिजिटल भुगतान में तेजी जारी है, मार्च 2025 में अकेले 24.77 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन के साथ, ध्यान यूपीआई की सुविधाओं और सुरक्षा को बढ़ाने पर है, साथ ही इसे उपयोगकर्ताओं के लिए लागत-मुक्त रखने पर भी।
भविष्य की ओर
एनपीसीआई यूपीआई की पहुंच को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है, जिसमें डेलिगेटेड खातों और उन्नत सुरक्षा उपायों जैसे फीचर्स के माध्यम से 200-300 मिलियन उपयोगकर्ताओं को जोड़ा जा रहा है। हाल के बदलाव, जैसे 4 अप्रैल, 2025 से क्यूआर-आधारित अंतरराष्ट्रीय शेयर-एंड-पे लेनदेन को अक्षम करना, धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने का लक्ष्य रखते हैं। इस बीच, सरकार की प्रोत्साहन योजनाएं छोटे व्यापारियों को समर्थन देना जारी रखेंगी, यह सुनिश्चित करते हुए कि यूपीआई वित्तीय समावेशन का एक प्रेरक बना रहे।
फिलहाल, यूपीआई उपयोगकर्ता निश्चिंत हो सकते हैं कि 2,000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा। वित्त मंत्रालय का त्वरित जवाब पारदर्शिता और भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली में विश्वास को बढ़ावा देने की इसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

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