इजरायल और ईरान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है, क्योंकि दोनों देशों ने एक-दूसरे पर बड़े पैमाने पर सैन्य हमले किए हैं। इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के जवाब में, ईरान ने तेल अवीव और यरूशलेम सहित इजरायल के कई शहरों पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागे। इस बढ़ते संघर्ष ने मध्य पूर्व में व्यापक युद्ध की आशंकाओं को और गहरा कर दिया है।
इजरायल का ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’
इजरायल ने शुक्रवार (13 जून 2025) को ईरान पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले शुरू किए, जिसे उसने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम दिया। इजरायली सेना ने दावा किया कि इस ऑपरेशन में 100 से अधिक लक्ष्यों को निशाना बनाया गया, जिसमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख केंद्र नतांज और फोर्डो शामिल थे। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे “ऐतिहासिक कदम” बताते हुए कहा कि यह हमला ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए जरूरी था। उन्होंने चेतावनी दी, “80 साल पहले यहूदी लोग नाज़ी होलोकॉस्ट के शिकार बने थे, लेकिन अब हम ईरान के संभावित परमाणु होलोकॉस्ट को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
इजरायल का दावा है कि ईरान के पास नौ से अधिक परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त उच्च संवर्धित यूरेनियम है, और हाल के महीनों में उसने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेजी से बढ़ाया है। इजरायली सेना के एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि ईरान “कुछ ही दिनों में परमाणु हथियार बना सकता है।”
ईरान का जवाबी हमला
इजरायल के हमलों के जवाब में, ईरान ने शुक्रवार देर रात ‘ऑपरेशन सीवियर पनिशमेंट’ शुरू किया, जिसमें तेल अवीव और यरूशलेम सहित इजरायल के कई शहरों पर 100 से अधिक ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं। ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने इजरायल पर “आवासीय केंद्रों पर हमला” करने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि इजरायल को इस “बड़े अपराध” का अंजाम भुगतना होगा।
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने बताया कि इस हमले में इजरायल के सात लोग घायल हुए, और तेल अवीव के रामत गान क्षेत्र में कई इमारतें और वाहन क्षतिग्रस्त हुए। हालांकि, इजरायल ने दावा किया कि उसने अधिकांश ड्रोन और मिसाइलों को रोक लिया।
वैश्विक प्रतिक्रिया और भारत की स्थिति
इस बढ़ते संघर्ष ने वैश्विक समुदाय में चिंता पैदा की है। भारत ने दोनों देशों से संयम बरतने और कूटनीति के जरिए समाधान निकालने की अपील की है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “हम इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। दोनों देशों से तनाव बढ़ाने वाले कदमों से बचने की अपील करते हैं।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू से फोन पर बात की और क्षेत्र में शांति बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
चीन ने इजरायल के हमलों की निंदा करते हुए इसे ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया, जबकि अमेरिका ने स्पष्ट किया कि उसकी इस हमले में कोई भूमिका नहीं थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक आपातकालीन सत्र बुलाया है, और कई देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
तेल की कीमतों पर असर
इस युद्ध का असर वैश्विक तेल की कीमतों पर भी दिख रहा है। मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है, जिसका भारत जैसे तेल आयातक देशों पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह संघर्ष क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। इजरायल और ईरान के बीच यह “छाया युद्ध” अब खुली जंग में बदल चुका है, और इसके परिणामस्वरूप पूरे मध्य पूर्व में अस्थिरता फैल सकती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब कूटनीतिक प्रयासों को तेज करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन दोनों देशों के कड़े रुख को देखते हुए शांति की राह मुश्किल दिख रही है।

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