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Budget 2025: Finance Minister Nirmala Seetharaman’s Biggest

Budget 2025 के लिए केंद्रीय बजट पेश करना वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए आसान काम नहीं होगा। भारत की अर्थव्यवस्था महामारी के बाद स्थिरता की ओर बढ़ रही है, लेकिन वैश्विक आर्थिक मंदी, बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता ने कई चुनौतियां पैदा कर दी हैं। आइए जानते हैं कि बजट 2025 में वित्त मंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां क्या होंगी।

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Budget 2025 Impact of global economic recessi

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 के बजट में शून्य आयकर के स्लैब को बढ़ाया और सभी करदाताओं के लिए मानक कटौती बढ़ा दी। इस कदम का उद्देश्य उपभोग के लिए मेज पर अधिक पैसा छोड़ना था। लगभग छह महीने बाद, भारत के मध्यम और निम्न-आय वाले परिवार आवश्यक वस्तुओं पर भी कम खर्च कर रहे हैं।बजट से एक दिन पहले, 31 जनवरी 2025 को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। यह देश की अर्थव्यवस्था का विस्तृत विश्लेष Budget 2025.

फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) क्षेत्र में शीर्ष पांच दिग्गजों में से एक, गोदरेज कंज्यूमर का निराशाजनक परिदृश्य, मध्यम और निम्न-आय वाले परिवारों में लगातार तनाव का संकेत है, जिसे सीतारमण को फरवरी में आगामी बजट में संबोधित करना होगा।  2025.

चुनावों के ठीक बाद जुलाई 2024 के बजट की सबसे बड़ी खासियतों में से एक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती को बढ़ाकर ₹75,000 करना था, साथ ही सालाना ₹3 लाख से कम आय वाले लोगों के लिए आयकर छूट भी थी।

हालाँकि, तब से खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ गई हैं, जिससे लोगों को दैनिक आवश्यक वस्तुओं पर भी कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। क्या वित्त मंत्री आगामी बजट में मध्यम वर्ग के लिए अधिक टैक्स छूट और छूट पर विचार करने के लिए मजबूर होंगे? या, क्या उसे मुद्रास्फीति को प्रबंधनीय स्तर पर बनाए रखने के तरीकों पर विचार करना चाहिए?

 

Budget 2025 बेरोजगारी और रोजगार सृजन,
  • चुनौती:
    देश में बेरोजगारी दर अभी भी उच्च स्तर पर है। प्रौद्योगिकी में तेजी से बदलाव ने पारंपरिक नौकरियों को कम किया है।
  • समाधान की उम्मीद:
    बजट में स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स, MSME सेक्टर को समर्थन, और नए स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग पर जोर दिया जा सकता है।

 

Budget 2025 महंगाई पर काबू पाना
  • चुनौती:
    खाद्य और ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी से आम जनता पर बोझ बढ़ रहा है। यह समस्या ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महसूस की जा रही है।
  • समाधान की उम्मीद:
    बजट में कृषि सुधारों, फूड सब्सिडी, और ऊर्जा संसाधनों को सस्ता करने पर ध्यान दिया जा सकता है।
Budget 2025 राजकोषीय घाटा कम करना
  • चुनौती:
    महामारी के दौरान सरकार ने बड़े पैमाने पर खर्च किया, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ा। अब इसे कम करना चुनौतीपूर्ण है।

Budget 2025 समाधान की उम्मीद:
वित्त मंत्री को नीतिगत खर्च में कटौती के बिना राजस्व संग्रह बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। टैक्स सुधार और विनिवेश के माध्यम से फंड जुटाना महत्वपूर्ण होगा।

राजकोषीय घाटा कम करना

चुनौती:
महामारी के दौरान सरकार ने बड़े पैमाने पर खर्च किया, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ा। अब इसे कम करना चुनौतीपूर्ण है।

समाधान की उम्मीद:
वित्त मंत्री को नीतिगत खर्च में कटौती के बिना राजस्व संग्रह बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। टैक्स सुधार और विनिवेश के माध्यम से फंड जुटाना महत्वपूर्ण होगा।

चुनौती:
कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन किसानों की आय अभी भी कम है।

समाधान की उम्मीद:
वित्त मंत्री को ऐसे उपाय पेश करने होंगे जो किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य के करीब ले जाएं, जैसे कि नई तकनीकों को बढ़ावा देना और फसल बीमा योजनाओं को मजबूत बनाना।

स्वास्थ्य और शिक्षा पर निवेश

चुनौती:
महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और डिजिटल शिक्षा को सुलभ बनाना एक बड़ी प्राथमिकता है।

समाधान की उम्मीद:
बजट में स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए आवंटन बढ़ने की संभावना है। साथ ही डिजिटल इंडिया पहल को और मजबूत किया जा सकता है

ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन

चुनौती:
ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत को अपनी ऊर्जा नीतियों में बदलाव करना होगा।

समाधान की उम्मीद:
बजट में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं, इलेक्ट्रिक वाहनों और हरित ऊर्जा पर सब्सिडी का प्रावधान हो सकता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर और शहरीकरण

चुनौती:
देश के विकास के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश जरूरी है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स और मेट्रो विस्तार पर तेजी से काम करने की जरूरत है।

समाधान की उम्मीद:
वित्त मंत्री सड़क, रेलवे, और आवास परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग की घोषणा कर सकती हैं।

बजट 2025 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए एक संतुलन साधने का कार्य होगा। उन्हें एक ओर विकास को गति देनी होगी, तो दूसरी ओर राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना होगा। रोजगार, महंगाई और बुनियादी ढांचे पर ध्यान देना इस बजट की प्राथमिकता होगी। जनता और निवेशकों की नजरें इस बजट पर टिकी होंगी, जो देश की आर्थिक दिशा को निर्धारित करेगा।

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