भारत को समुद्री सुरक्षा में मजबूती प्रदान करने के लिए रूस द्वारा निर्मित अत्याधुनिक युद्धपोत INS तुशील जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल होने जा रही है। यह युद्धपोत फरवरी 2025 के मध्य तक भारत पहुंचने की उम्मीद है।
INS तुशील: शक्ति और तकनीक का संगम
INS तुशील, जिसका नाम संस्कृत शब्द “तुशील” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “ढाल,” एक स्टील्थ मिसाइल फ्रिगेट है। यह 3,900 टन वजन की आधुनिक जहाज है, जिसे रूस के यंतर शिपयार्ड, कालिनिनग्राद में बनाया गया है। इस जहाज को 9 दिसंबर 2024 को भारतीय नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया था।
इस युद्धपोत की खासियत है कि इसमें रूसी और भारतीय तकनीक का अनूठा समायोजन किया गया है। इसमें ब्राह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल और भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा निर्मित स्वदेशी उपकरण शामिल हैं। यह जहाज आधुनिक रडार प्रणाली, आत्मरक्षा प्रणाली और समुद्री युद्ध के लिए उन्नत हथियारों से लैस है।
भारतीय जलक्षेत्र में नई ताकत
INS तुशील के भारत पहुंचने के बाद इसे मुंबई स्थित पश्चिमी बेड़े में शामिल किया जाएगा। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह जहाज समुद्री सीमाओं की निगरानी, रक्षा और आपातकालीन परिस्थितियों में मददगार साबित होगा।
भारतीय नौसेना को क्या मिलेगा फायदा?
INS तुशील के भारतीय बेड़े में शामिल होने से समुद्री सुरक्षा और सामरिक अभियानों में भारतीय नौसेना की क्षमताओं में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।
पश्चिमी बेड़े में तैनाती: INS तुशील को मुंबई स्थित पश्चिमी नौसेना कमान में शामिल किया जाएगा।
दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन: हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बीच, यह युद्धपोत भारत की समुद्री प्रभुत्व को और मजबूत करेगा।
आर्थिक सुरक्षा: तटीय सुरक्षा को मजबूत कर यह जहाज भारत के समुद्री व्यापार मार्गों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगा।
भारत-रूस रक्षा सहयोग का प्रतीक
INS तुशील का निर्माण भारत और रूस के बीच मजबूत रक्षा सहयोग को दर्शाता है। इसके निर्माण में भारतीय उपकरण निर्माताओं की भागीदारी इस बात का संकेत है कि भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
समुद्री साझेदारी को बढ़ावा
भारत की ओर यात्रा के दौरान, INS तुशील विभिन्न देशों के नौसेनाओं के साथ संयुक्त अभ्यास और बंदरगाहों पर रुककर समुद्री साझेदारी को मजबूत करेगा।INS तुशील का आगमन न केवल भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि यह भारत की समुद्री सुरक्षा रणनीति को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
भारत-रूस के बीच रक्षा साझेदारी का प्रतीक
INS तुशील का निर्माण भारत और रूस के रक्षा सहयोग को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है। यह युद्धपोत प्रोजेक्ट 11356 के तहत बनने वाले कुल चार युद्धपोतों में से एक है। इसका निर्माण भारत की मेक इन इंडिया पहल का भी समर्थन करता है, जिसमें भारत और रूस दोनों की तकनीकी भागीदारी देखने को मिली है।

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