चीन ने 45 अमेरिकी संस्थाओं पर लगाया जुर्माना, लॉकहीड मार्टिन और बोइंग डिफेंस भी शामिल

बीजिंग, 2 जनवरी 2025: चीन ने 45 अमेरिकी कंपनियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिनमें प्रमुख रक्षा कंपनियां लॉकहीड मार्टिन और बोइंग डिफेंस भी शामिल हैं

प्रतिबंधित कंपनियों में विश्व की कुछ सबसे बड़ी रक्षा निर्माता कंपनियां शामिल हैं – लॉकहीड मार्टिन, रेथॉन और जनरल डायनेमिक की सहायक कंपनियां

वाशिंगटन: चीन ने अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंधों को और तेज़ करके अमेरिका के खिलाफ़ जवाबी हमले को और तेज़ कर दिया है। एक हफ़्ते से भी कम समय में, बीजिंग ने आज दस अमेरिकी कंपनियों पर दूसरे दौर के प्रतिबंधों की घोषणा की। वजह है ताइवान को हथियार बेचना।

इसके साथ ही चीन ने कुल मिलाकर 45 अमेरिकी संस्थाओं – 17 फर्मों और 28 संस्थाओं – पर अलग-अलग स्तर पर प्रतिबंध लगाए हैं या उन्हें दंडित किया है। जबकि 17 फर्मों पर प्रतिबंध लगाया गया है, 28 अन्य को निर्यात प्रतिबंध सूची में डालकर दंडित किया गया है।

यह कार्रवाई अमेरिका के खिलाफ चीन के बढ़ते आक्रोश और दोनों देशों के बीच जारी व्यापार युद्ध के संदर्भ में की गई है। चीन के व्यापार मंत्रालय ने मंगलवार को इस कदम की घोषणा की, जिसके तहत इन संस्थाओं को चीन के बाजारों में व्यापार करने से प्रतिबंधित किया गया है।

चीन ने अमेरिका पर प्रतिबंध क्यों लगाया?

चीन ने अमेरिका पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कई कारणों से लिया है, जो मुख्य रूप से व्यापारिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित हैं। यह कदम चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव और व्यापार युद्ध का हिस्सा है।

राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापारिक हित: चीन का कहना है कि अमेरिकी कंपनियों ने बिना उचित अनुमति के उच्च तकनीकी और रक्षा संबंधित सामान और सेवाओं का निर्यात किया, जिससे चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास को खतरा उत्पन्न हुआ। विशेष रूप से, रक्षा उद्योग से जुड़ी कंपनियाँ जैसे लॉकहीड मार्टिन और बोइंग डिफेंस, जिनके उत्पाद चीन के लिए संवेदनशील हो सकते हैं, इन प्रतिबंधों का हिस्सा हैं।

अमेरिकी प्रतिबंधों का जवाब: यह कदम चीन की प्रतिक्रिया के रूप में उठाया गया है, क्योंकि अमेरिका ने पहले ही कई चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे, जैसे हुवावे और जेडटीई। चीन ने यह निर्णय अमेरिकी सरकार द्वारा किए गए ऐसे कदमों के खिलाफ अपने हितों की रक्षा के रूप में लिया है।

व्यापार युद्ध और तनाव: अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से व्यापार युद्ध जारी है, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे पर विभिन्न व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं। यह नए प्रतिबंध इस संघर्ष का एक और चरण हैं, जिसमें चीन ने अमेरिका के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कदम उठाया है।

आर्थिक और राजनीतिक दबाव: चीन ने यह भी आरोप लगाया है कि अमेरिकी नीतियाँ चीन के आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति को रोकने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। इस कारण, चीन ने इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाकर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

इस प्रकार, चीन का यह कदम अमेरिका के खिलाफ व्यापारिक दबाव बनाने और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा तथा आर्थिक हितों की रक्षा करने का एक हिस्सा है।

चीन के अधिकारियों का क्या कहना

चीन के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम अमेरिकी सरकार द्वारा चीन के खिलाफ हाल ही में लगाए गए प्रतिबंधों और आर्थिक दबाव के जवाब में उठाया गया है। चीन ने इन अमेरिकी कंपनियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने चीन के राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा को नुकसान पहुँचाया है। इसके अलावा, चीन ने आरोप लगाया कि इन कंपनियों ने बिना उचित अनुमति के उच्च तकनीकी और रक्षा संबंधित सामान और सेवाओं का निर्यात किया, जो चीन की सुरक्षा और विकास के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

लॉकहीड मार्टिन और बोइंग डिफेंस जैसी कंपनियां, जो अमेरिकी रक्षा उद्योग के प्रमुख खिलाड़ी हैं, इन प्रतिबंधों से सीधे प्रभावित होंगी। इन कंपनियों का कारोबार चीन में काफी बड़ा है, खासकर रक्षा क्षेत्र में। अब इन कंपनियों को चीन के बाजार में व्यापार करने के लिए अपनी रणनीतियों में बदलाव करना होगा और अपने व्यापार को पुनः व्यवस्थित करना होगा।

चीन को यह कदम क्यों उठाना पड़ा ?

चीन के इस कदम के बाद, अमेरिकी अधिकारियों ने चीन से इस फैसले को वापस लेने की अपील की है और इसे व्यापारिक दबाव के रूप में देखा है। हालांकि, चीन का कहना है कि यह कार्रवाई अमेरिकी सरकार द्वारा चीन को निशाना बनाने वाले कदमों का उचित जवाब है।

इससे पहले, अमेरिका ने कई चीनी कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाए थे, जिनमें प्रमुख तकनीकी कंपनियाँ जैसे हुवावे और जेडटीई शामिल हैं। चीन का यह कदम वैश्विक व्यापार और सुरक्षा नीतियों पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है और दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में और जटिलता ला सकता है।

यह कदम चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और बढ़ा सकता है। दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, और राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर लगातार मतभेद रहे हैं, जिससे वैश्विक आर्थिक स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो सकता है।

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